राजस्थान की 15 वीं विधानसभा का सत्र 199 विधायकों से शुरू हुआ था। फिर रामगढ़ सीट पर चुनाव हुए और विधायक पूरे 200 हो गए। इस बीच लोकसभा चुनाव हुए तो दो विधायक सांसद बन गए और फिर संख्या 198 रह गई। विधानसभा में कथित अपशकुन गुरुवार को फिर मिट गया। विधानसभा के गुरुवार को शुरू हुए तीसरे सत्र में फिर 200 विधायक हो गए।
मंडावा से रीटा चौधरी और खींवसर से नारायण बेनीवाल के शपथ लेते ही सदन में 200 का आंकड़ा पूरा हो गया। अब कोई अनहोनी नहीं हुई तो अशोक गहलोत सरकार का यह कार्यकाल पिछली सब सरकारों के कार्यकाल को झुठला सकता है कि पूरी सरकार के समय 200 विधायक नहीं रहे। 2001 में नई विधानसभा में शिफ्ट होने के बाद कोई सरकार ऐसी नहीं रही, जिसमें पूरे 200 विधायक रहे।
इस कारण पिछली सरकार के समय सदन में ही तीन दिन तक विधायकों ने मुद्दा उठा दिया था कि विधानसभा पर भूतों का साया है। विधानसभा ने पंडितों को बुलाकर बाकायदा पिछली सरकार में अपशकुन मिटाने के तंत्र भी किए थे।
9 विधायकों का कार्यकाल के बीच निधन
2001 में विधानसभा के ज्योतिनगर स्थित नए भवन में शिफ्ट होने के बाद से अब तक नौ विधायकों की कार्यकाल के बीच मृत्यु हो चुकी है। इनमें किशन मोटवानी, जगत सिंह दायमा, भीखाभाई, भीमसेन चौधरी, रामसिंह बिश्नोई, अरुण सिंह, नाथूराम आहारी, कीर्ति कुमार और कल्याण सिंह चौहान के नाम शामिल हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव के ऐलान के ठीक बाद रामगढ़ से बीएसपी प्रत्याशी लक्ष्मण चौधरी की मौत एक सीट पर 200 के साथ चुनाव नहीं हो सके।
दो मंत्री सहित चार जा चुके जेल
2011 में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा और कांग्रेस विधायक मलखान सिंह को चर्चित भंवरी देवी हत्या प्रकरण में जेल जाना पड़ा। इसी वर्ष एक एनकाउंटर मामले में भाजपा के विधायक राजेन्द्र राठौड़ को जेल जाना पड़ा। वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार में मंत्री बाबूलाल नागर और अप्रैल,2017 में बसपा के बीएल कुशवाह को जेल जाना पड़ा।